ककहरा से आगे
मंगलवार, 21 अप्रैल 2015
नित्य से अनित्य
जिनगी भी होटल
के एक कमरा ह
आ ओहिमे आदमी
के सीमित बा संसार
विचार के विस्तार
ही ए जिनगी के
नित्य से अनित्य
के ओर ले जाता का ?
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